देश
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विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और अभय सिंह ने की शिवेंद्र सिंह की प्रशंसा, शिवेंद्र सिंह ने दिया युवाओं को प्रेरणादायक संदेश
अयोध्या 5 जनवरी 2025। पूराबाजार क्षेत्र के मड़ना ग्राम पंचायत में स्वर्गीय प्रभात सिंह की तृतीय पुण्यतिथि के अवसर पर…
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अंतर्राष्ट्रीय मीडिया सेंटर उद्घाटन के बाद भी कई वर्षों से बंद, 2025 में खुलेगा ताला: पत्रकारों में खुशियों की लहर
अयोध्या। रामनगरी में एक करोड़ रुपये की लागत से बने अंतरराष्ट्रीय मीडिया सेंटर का संचालन अब उत्तर प्रदेश सरकार की…
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भगवान विष्णु: संसार के पालनकर्ता और धर्म के रक्षक
भगवान विष्णु हिंदू धर्म के त्रिमूर्ति के एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जिनका प्रमुख कार्य संसार का पालन और रक्षा करना…
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दुर्गा माता: शक्ति, साहस और विजय की देवी”
दुर्गा माता हिंदू धर्म में शक्तिशाली और महान देवी के रूप में पूजी जाती हैं। उन्हें शक्ति, साहस, और विजय…
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श्री राधा कृष्ण का संबंध: प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिकता का आदर्श
श्री श्री राधा और कृष्ण का संबंध भारतीय संस्कृति और धर्म में प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिकता का सर्वोत्तम उदाहरण…
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श्री राम जी का जीवन: आदर्श नेतृत्व और न्याय की प्रेरणा
श्री राम जी का जीवन भारतीय संस्कृति का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक भाग है। वे भगवान विष्णु के सातवें…
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गुरु का महत्व: जीवन के मार्गदर्शक और ज्ञान के स्रोत
गुरु भारतीय संस्कृति में अत्यंत सम्मानित और महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वे जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाले,…
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शनि देव: न्याय, कर्म और संयम का प्रतीक
शनि देव, जिन्हें हिंदू धर्म में न्यायाधीश और कर्मफलदाता के रूप में पूजा जाता है, का विशेष महत्व है। शनि…
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भगवान शंकर: संहारक से लेकर भक्तों के उद्धारक तक भगवान शंकर, जिन्हें महादेव या भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के त्रिमूर्ति के महत्वपूर्ण देवता हैं। वे ब्रह्मा और विष्णु के साथ मिलकर सृष्टि के संहारक रूप में प्रतिष्ठित हैं, और उनका कार्य संसार के संहार के बाद पुनः सृजन के लिए वातावरण तैयार करना है। उनके इस रूप को न केवल संहार, बल्कि नवीनीकरण और संतुलन का प्रतीक भी माना जाता है। भगवान शंकर का महत्व न केवल उनके संहारक रूप में है, बल्कि वे योग, तपस्या और ध्यान के भी महान गुरु हैं। वे निराकार ब्रह्मा का अनुभव करने वाले पहले योगी माने जाते हैं। उनका ध्यान और योग हमें आत्मा के सत्य को समझने की प्रेरणा देते हैं। भगवान शंकर का त्रिशूल तीन प्रमुख गुणों—सत (सत्य), रज (क्रिया) और तम (अज्ञान)—का प्रतीक है। उनका डमरू ब्रह्मा के सृजन की ध्वनि का प्रतीक है, और उनके सिर पर स्थित चंद्रमा, गंगा की धारा उनके शीतल और शांति देने वाले रूप को दर्शाती है। भगवान शंकर अर्द्धनारीश्वर के रूप में देवी पार्वती के साथ एकता के प्रतीक हैं, जो यह संदेश देते हैं कि पुरुष और महिला का संबंध ब्रह्मा की सृष्टि में संतुलन और पूर्णता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उनका स्वरूप और गुण समाज में समानता, सहिष्णुता और प्रेम का प्रतीक हैं। भोलेनाथ का सबसे महत्वपूर्ण पहलू उनकी सरलता और भक्तों के प्रति अपार करुणा है। वे अपनी भक्तों की छोटी सी भक्ति को भी स्वीकार कर उन्हें आशीर्वाद देते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके जीवन में शांति और समृद्धि आए। शंकर भगवान के प्रति सच्ची भक्ति, समर्पण और विश्वास से व्यक्ति न केवल बाहरी कठिनाइयों से मुक्त होता है, बल्कि अपनी आत्मिक शांति भी प्राप्त करता है। भगवान शंकर की भक्ति जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन और सुख-शांति लाती है। उनके आदर्शों को अपनाकर हम अपने जीवन को सही दिशा दे सकते हैं और हर स्थिति में आत्मविश्वास और शांति बनाए रख सकते हैं।
भगवान शंकर: संहारक से लेकर भक्तों के उद्धारक तक भगवान शंकर, जिन्हें महादेव या भोलेनाथ के नाम से भी जाना…
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