अयोध्या में अवैध प्लॉटिंग की भरमार: विकास प्राधिकरण और भूमाफियाओं के गठजोड़ से बढ़ा संकट
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अयोध्या, उत्तर प्रदेश: अयोध्या में इन दिनों भू-माफियाओं का आतंक चरम पर है। बिना किसी लेआउट को पास कराए और बिना वैध अनुमति के ये माफिया धड़ल्ले से प्लॉटिंग कर रहे हैं, जिससे इस पवित्र शहर की सुनियोजित विकास प्रक्रिया को गंभीर खतरा पहुँच रहा है। यह सब कुछ विकास प्राधिकरण और भू-माफियाओं के गहरे गठजोड़ से हो रहा है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह गठजोड़ शहर में सैकड़ो अवैध कॉलोनियों के पनपने का कारण बन चुका है। भू-माफिया सरकारी जमीन, नाले-तालाबों और कृषि भूमि को पाटकर प्लॉट बेच रहे हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है और बारिश के दिनों में जलभराव की समस्या विकराल हो जाती है। यह न केवल सरकार के राजस्व का नुकसान है, बल्कि खरीदारों के लिए भी एक बड़ा धोखा है, क्योंकि उन्हें भविष्य में बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है।इस गंभीर समस्या को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और विकास प्राधिकरण को तत्काल ठोस कदम उठाने होंगे। इस अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के लिए कुछ सुझाव हैं: विकास प्राधिकरण को सभी अवैध और सुविधा विहीन प्लॉटिंग को चिह्नित करके एक विशेष कोड नंबर जारी करना चाहिए। इस कोड को जिला प्रशासन और रजिस्ट्री कार्यालय के साथ साझा किया जाए, जिससे कोई भी व्यक्ति उस कोड वाली जमीन की रजिस्ट्री न करा सके। यह कदम खरीदारों को ठगी से बचाएगा और अवैध कारोबार पर तत्काल रोक लगाएगा। इसके अलावा, सरकार एक ऑनलाइन पोर्टल बना सकती है, जिस पर अयोध्या में सभी वैध और अवैध कॉलोनियों का डिजिटल नक्शा उपलब्ध हो। इससे कोई भी खरीदार घर बैठे ही यह जांच कर सकता है कि वह जिस प्लॉट को खरीदने जा रहा है, वह कानूनी रूप से सही है या नहीं। अवैध प्लॉटिंग को ध्वस्त करने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन भी किया जाए। साथ ही, उन अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हो जो इस गठजोड़ में शामिल हैं। सरकार को व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि लोग अवैध प्लॉटिंग के खतरों को समझ सकें। इन ठोस कदमों से न केवल कालाबाजारी और अवैध प्लॉटिंग पर रोक लगेगी, बल्कि खरीदारों का भी हित सुरक्षित होगा। यह जरूरी है कि अयोध्या की पवित्रता और विकास एक-दूसरे के पूरक बनें, न कि एक-दूसरे के विनाश का कारण।
स्वतंत्र पत्रकार अंतरिक्ष तिवारी की कलम से