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अयोध्या की काली कमाई फॉर्च्यूनर की सवारी करता खनन माफिया सरकारी जाँच एजेंसियां मौन क्यों।


अयोध्या।सरकारी तालाबों और पवित्र नदियों के जल स्रोतों को खोखला कर रहे अवैध खनन माफिया का कारोबार अयोध्या में किस गति से फल-फूल रहा है, इसका प्रमाण उन माफियाओं की जीवनशैली में साफ दिखता है जो चंद सालों में ही लाखों की फॉर्च्यूनर जैसी महंगी गाड़ियों के काफिले और बॉडीगार्ड्स के साथ घूमने लगे हैं। यह सबसे बड़ा सवाल है कि जब यह माफिया अपना साम्राज्य तैयार कर रहा होता है, जब इनका काफिला और रसूख धीरे-धीरे स्थापित हो रहा होता है, उस समय जिला प्रशासन कहाँ रहता है।यह गंभीर स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब वस्तु एवं सेवा कर विभाग (जीएसटी विभाग), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी सरकारी जाँच एजेंसियाँ इस काले खेल पर चुप्पी साधे हुए हैं और इनकी आय के स्रोतों की जाँच नहीं हो रही है।यह अवैध खनन न केवल राजस्व का नुकसान है, बल्कि यह सीधे तौर पर जल संरक्षण के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है। सरकारी तालाबों और नदियों से रेत व मिट्टी का अनियंत्रित निष्कर्षण भूजल स्तर को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है और प्राकृतिक जलधाराओं के पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर रहा है। अयोध्या की कुछ विशेष तहसीलों, जैसे सोहावल, रुदौली, और अयोध्या सदर, में खनन माफिया बेखौफ होकर यह कारोबार चला रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अवैध पट्टे जारी करने और खनन की सीमा का उल्लंघन करने के मामले इन क्षेत्रों में चरम पर हैं। सवाल यह है कि जिला प्रशासन सोहावल, रुदौली और अयोध्या सदर में इस अवैध खनन माफिया पर कब लगाम कसेगा। स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता से इन तहसीलों में माफियाराज पनप रहा है।चंद सालों में अकूत संपत्ति के मालिक बने इन माफियाओं का जीवन स्तर अवैध दौलत की कहानी खुद बयां करता है। लाखों रुपये की फॉर्च्यूनर गाड़ियों के काफिले और बॉडीगार्ड्स रखने के लिए आय का स्रोत क्या रहा? स्वतंत्र पत्रकार अंतरिक्ष तिवारी ने यह गंभीर प्रश्न उठाया है कि वस्तु एवं सेवा कर विभाग (जीएसटी विभाग) क्यों सिर्फ छोटे पूंजीपति व्यापारियों पर ही सख्ती दिखाता है, जबकि इन अवैध कारोबारियों की संपत्ति का ब्यौरा और उनके आय-व्यय के स्रोत की जाँच की माँग क्यों नहीं करता। इन महंगी गाड़ियों और संपत्तियों के भुगतान की जाँच करके उनके आयकर रिटर्न और जीएसटी भुगतान की तुलना करना विभाग का प्राथमिक कर्तव्य है।जब मामला अवैध तरीके से करोड़ों की संपत्ति बनाने, कर चोरी, और पर्यावरण को गंभीर नुकसान जैसे गंभीर अपराधों से जुड़ा हो, तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी प्रमुख केंद्रीय जाँच एजेंसियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। इतनी बड़ी वित्तीय अनियमितता और अवैध धन के प्रवाह के स्पष्ट संकेतों के बावजूद, इन एजेंसियों की निष्क्रियता कई बड़े सवाल खड़े करती है। क्या वे किसी बड़े सरकारी आदेश का इंतज़ार कर रही हैं, या फिर उन्हें इस अवैध धन के प्रवाह में कोई अपराध की आय नज़र नहीं आती
यह अत्यंत आवश्यक है कि प्रशासन तुरंत सख्त कदम उठाए और सोहावल, रुदौली और अयोध्या सदर की तहसीलों में सक्रिय इन अवैध खनन माफियाओं पर चाबुक चलाए। माफियाओं की आय, संपत्ति और गाड़ियों के स्रोतों की निष्पक्ष जाँच शुरू होनी चाहिए ताकि सरकारी तालाबों और नदियों को बचाया जा सके और कानून का राज स्थापित हो सके।

Aapki Takat

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