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CM योगी के आदेश की खुली अवहेलना: अयोध्या में 73वीं रैंकिंग से भी नीचे जाने की साज़िश। राजस्व विभाग में शिकायतें अटकाने’ का नया

अयोध्या: एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या को ‘विकसित रामनगरी’ बनाने के लिए प्रयासरत हैं, वहीं दूसरी ओर जिले के कुछ विभागों में उनके आदेशों की खुली अवहेलना की जा रही है। जन शिकायतों के निस्तारण में मुख्यमंत्री द्वारा निर्धारित एक माह की समय-सीमा का यहां कोई मोल नहीं है। सूत्रों के अनुसार, अयोध्या की पिछली 73वीं रैंकिंग को भी नीचे धकेलने की साज़िश कुछ अधिकारियों द्वारा रची जा रही है, जिसके केंद्र में राजस्व एवं आपदा विभाग है। राजस्व एवं आपदा विभाग से जुड़ी भूमि संबंधी जानकारी की कई महत्वपूर्ण शिकायतें (विवरण गोपनीय) छह महीने से भी अधिक समय से रुकी हुई हैं। यह लापरवाही तब सामने आई है जब जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि वह जनता से जुड़े कार्यों में शीर्ष प्रदर्शन करे। सीधे जनता से जुड़ी शिकायतों को इतने लंबे समय तक लटकाए रखना प्रशासनिक दक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। जाँच से पता चला है कि अधिकारी जानबूझकर शिकायत निस्तारण में विलंब कर रहे हैं और साथ ही प्रणाली को धोखा देने का एक ‘नया तिकड़म’ अपना लिया गया है। मुख्यमंत्री के आदेशानुसार, यदि एक माह में शिकायत का निस्तारण नहीं होता है तो वह प्रणाली में ‘व्यतिक्रम’ स्थिति में आ जाती है, जिस पर वरिष्ठ अधिकारियों को जवाब देना पड़ता है। इस जवाबदेही से बचने के लिए अधिकारी शिकायत को बार-बार ‘इधर से उधर स्थानांतरित’ करते हैं और फिर उसे ‘अधीनस्थ से वापस’ लेकर ‘अचिह्नित’ स्थिति में अग्रसारित कर देते हैं। इस प्रक्रिया से शिकायत न तो व्यतिक्रम होती है और न ही उसका निस्तारण होता है। वह केवल पटल पर रुकी हुई दिखाई देती रहती है, जबकि असल में उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। सूत्रों की मानें तो यह तिकड़म कुछ विभागों द्वारा अयोध्या की गवर्नेंस रैंकिंग को जानबूझकर गिराने का एक सीधा खेल है। जब आईजीआरएस जैसी महत्वपूर्ण प्रणाली में शिकायतों का निस्तारण छह-छह महीने लटकेगा, तो सुशासन और जन-केंद्रित शासन के मानकों पर जिले का प्रदर्शन बुरी तरह प्रभावित होगा। एक तरफ अयोध्या विकास के बड़े लक्ष्यों को छू रहा है, दूसरी तरफ यह आंतरिक लापरवाही जिले की प्रतिष्ठा और प्रशासनिक दक्षता पर धब्बा लगा रही है। सवाल यह है कि मुख्यमंत्री के सख्त आदेशों की धज्जियां उड़ाने और जनता को न्याय से वंचित रखने के साथ ही, जिले की रैंकिंग को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले ऐसे सूचना अधिकारियों पर कठोर प्रशासनिक कार्रवाई कब होगी।

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