अयोध्या सीएमओ स्टेनो संदीप कुमार यादव की ‘जादुई कुर्सी’: बाराबंकी ट्रांसफर पर कृपा का ग्रहण?
अयोध्या सीएमओ स
अयोध्या, स्वास्थ्य विभाग की “बिजली-सी रफ्तार” का एक और नमूना! अयोध्या सीएमओ कार्यालय के स्टेनो संदीप कुमार यादव का अयोध्या से महिला चिकित्सालय बाराबंकी ट्रांसफर हो चुका है लेकिन लगभग एक साल बीतने वाला है संदीप कुमार यादव सीएमओ स्टेनो अयोध्या में ही है सूत्रों का दावा—संदीप कुमार यादव खुद बाराबंकी जाने को तैयार नहीं, या फिर कोई “जादुई कृपा” उनकी कुर्सी को थामे हुए है। जून में लिस्ट निकली, दिसंबर में सवाल हुआ, 30 अप्रैल 2025 को पुनः लेटर जारी हुआ कि इन्हें शीघ्र ही यहां से कार्य मुक्त किया जाए मगर नतीजा वही सिर्फ हवा-हवाई बातें!सूत्रों के हवाले से खबर है कि संदीप कुमार यादव पर किसी “खास आशीर्वाद” की बारिश हो रही है। फोन पर जब सीएमओ साहब से बात हुई, तो जवाब मिला, “मैं नया हूँ, मुझे क्या पता, कल देखकर बताऊँगा!” वाह, क्या ज़िम्मेदारी! लगता है, संदीप कुमार यादव की कुर्सी पर कोई जादुई गोंद लगा दी गई है, जो उन्हें अयोध्या से हिलने ही नहीं दे रही। सूत्र बताते हैं कि संदीप की अयोध्या में मज़बूत पकड़ और “खास व्यवस्था” इस देरी की वजह हो सकती है। बाकी लिस्ट में भी कई “कृपा पात्र” मौजूद हैं, सब “जादुई कृपा” की लाइन में! सवाल यह है कि यह “कृपा की बारिश” कब थमेगी, या सिस्टम की “जादुई व्यवस्था” यूं ही चलती रहेगी?
उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश ने विकास और सुशासन की नई मिसाल कायम की है। उनकी दूरदर्शिता ने अयोध्या को न केवल आध्यात्मिक, बल्कि वैश्विक पर्यटन और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित किया कानून-व्यवस्था से लेकर महाकुंभ जैसे विशाल आयोजनों तक, उनके प्रशासन ने हर क्षेत्र में उत्कृष्टता का परचम लहराया।
स्वास्थ्य मंत्री श्री ब्रजेश पाठक जी भी अपने कुशल प्रबंधन के लिए जाने जाते हैं। उनके मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग ने नई योजनाओं और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के साथ जनता की सेवा में उल्लेखनीय प्रगति की। कोविड जैसे संकटकाल में उनकी त्वरित निर्णय क्षमता और अस्पतालों में सुधार के प्रयासों ने उत्तर प्रदेश को स्वास्थ्य सेवाओं में एक नई पहचान दी।मगर, संदीप की “जादुई कुर्सी” का मसला तो मानो किसी और ही लोककथा से निकला है! योगी जी और पाठक जी भले ही प्रदेश को प्रगति के पथ पर ले जा रहे हों, लेकिन संदीप की कुर्सी पर शायद कोई जादुई तिलिस्म हावी है, जो ट्रांसफर के कागज़ों को हवा में उड़ा देता है। यह “कृपा” का चमत्कार है या सिस्टम का पुराना नौटंकीबाज़ तमाशा? शायद संदीप की कुर्सी ने अयोध्या में ही “प्राण-प्रतिष्ठा” कर ली है, और बाराबंकी का रास्ता अब सपनों का मायाजाल बनकर रह गया है!स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं बस जहां कोई शब्द गलत लिखा होगा या समझ में नहीं आएगी बस वही सही करेगा और सब सही है