समाजसेवी अर्चना तिवारी ने शादी समारोहों में बढ़ते दिखावे और अनावश्यक खर्चों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, “विवाह को सादगीपूर्ण और किफायती बनाइए। शादी में आने वाले लोग केवल खाना खाएंगे और चले जाएंगे, लेकिन आप इस आयोजन के कर्ज को चुकाते-चुकाते अपनी पूरी जिंदगी तनाव में बिता देंगे। यह एक कड़वा सच है, लेकिन इसे समझना और स्वीकार करना आज की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि आजकल समाज में विवाह को दिखावे और प्रतिस्पर्धा का माध्यम बना दिया गया है, जिससे खासतौर पर मध्यमवर्गीय और गरीब परिवार आर्थिक तंगी का शिकार हो रहे हैं। अर्चना तिवारी ने कहा कि विवाह जैसे शुभ अवसर को पारंपरिक और सादगीपूर्ण तरीके से मनाना चाहिए, जिससे न केवल अनावश्यक खर्चों पर लगाम लग सके, बल्कि एक सकारात्मक सामाजिक संदेश भी दिया जा सके।
उन्होंने समाज से अपील की कि शादी जैसे पवित्र बंधन को संबंधों को मजबूत करने और खुशियां बांटने का अवसर बनाएं, न कि फिजूलखर्ची और कर्ज का बोझ। उनका मानना है कि सादगी अपनाने से परिवार आर्थिक रूप से मजबूत होंगे और समाज में एक नई सोच का बीजारोपण होगा। उन्होंने कहा कि फिजूलखर्ची को रोककर हम न केवल अपना भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि समाज के अन्य वर्गों के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश कर सकते हैं।
