अयोध्या। केंद्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। मवई विकास खंड के बसौढ़ी ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत मजदूरी के नाम पर सरकारी धन के दुरुपयोग का गंभीर मामला सामने आया है।
फर्जी हाजिरी से गबन का खेल:
शुक्रवार और शनिवार को बसौढ़ी में कवरेज के दौरान मनरेगा के तहत ऑनलाइन दर्ज 96 और 74 मजदूरों की हाजिरी का दावा किया गया। लेकिन मौके पर कोई मजदूर काम करता नहीं मिला। जब इस बारे में प्रधान पुत्र मोहम्मद शाकिब से सवाल किया गया तो उन्होंने फर्जी मजदूरों की हाजिरी की बात स्वीकारते हुए कहा कि “खबर से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”
अधिकारियों की निष्क्रियता:
प्रधान के इस रवैये से स्पष्ट है कि उन्हें अधिकारियों या किसी अन्य कार्रवाई का डर नहीं है। भ्रष्टाचार का यह मामला विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और दबंग प्रधान के सरपरस्तों की संलिप्तता को उजागर करता है। खंड विकास अधिकारी ने मजदूरों के दो पालियों में काम करने का दावा किया, लेकिन कवरेज के दौरान दोनों समय मजदूर अनुपस्थित पाए गए।
जांच के आदेश:
खंड विकास अधिकारी ने मामले में जांच का आश्वासन देते हुए दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है। अब देखना यह है कि यह मामला गंभीरता से लिया जाएगा या अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
प्रश्नचिन्ह:
क्या राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ वास्तव में जनता तक पहुंच रहा है? या भ्रष्टाचारियों के लिए यह योजना दुधारू गाय बनकर रह गई है?