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अश्वनी सिंह का आरोप: अयोध्या में भू-माफिया और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से शिया समाज की ज़मीनें और सरकारी संपत्तियां हो रही हैं बर्बाद











कांग्रेस विचार विभाग के महासचिव अश्वनी सिंह ने अयोध्या के विकास प्राधिकरण और राजस्व विभाग की कार्यशैली पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी जमीनों पर भू-माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों का कब्जा बढ़ता जा रहा है, जिससे आम जनता को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से मकबरे के आसपास शिया समाज की ज़मीनों पर अवैध कब्जे हो रहे हैं, और इन कब्जों की संख्या 247 तक पहुंच चुकी है। शिकायत भी कई बार हुई, जांच भी कई बार हुई है, और प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार सब कुछ सही पाया गया, तब भी अवैध निर्माण को हटाने में जिला प्रशासन नाकाम क्यों है?

अश्वनी सिंह ने आरोप लगाया कि विकास प्राधिकरण ने कई मकानों का गलत नक्शा पास किया है। विकास प्राधिकरण को कई बार शिकायत की गई, लेकिन बिना कोई निर्णायक कदम उठाए, इस मामले पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है, और यह स्थिति अभी तक जस की तस बनी हुई है।

उन्होंने सप्तसागर तालाब की ज़मीन पर भू-माफिया और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत का भी आरोप लगाया, जहां एक पीड़ित का मकान तोड़ा गया और जमीन पूरी तरह से बेच दी गई। उन्होंने कहा कि इस मामले में आम जनता का कोई दोष नहीं है, बल्कि दोष उन अधिकारियों का है, जिन्होंने अवैध कब्जे करवा कर सरकार को भारी नुकसान पहुँचाया है।

अश्वनी सिंह ने यह भी कहा कि शिया समाज की ज़मीन पर अवैध कब्जे करने वाले बड़े मठाधीश और भ्रष्ट अधिकारी गलत नक्शे बनवाकर सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार का फायदा उठा रहे हैं। इस पर कार्रवाई कब होगी, यह एक गंभीर सवाल है, और इसके बारे में जल्द से जल्द समाधान खोजना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों और भू-माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि आम जनता का हक सुरक्षित रह सके और सरकारी जमीनों का दुरुपयोग न हो।

विशेष मामला: यह मकान जो चित्र में दिख रहा है, वह बहू बेगम मक़बारा की ज़मीन पर है। इस ज़मीन का रामलाल जायसवाल ने अपनी माँ से कुतरचित कागजात बनाकर अपनी माँ सुरसंती देवी से खुद के नाम बैनामा करवा लिया। बैनामे के आधार पर प्राधिकरण की मिलीभगत से मानचित्र स्वीकृति करवा ली और तीन मंजिला मकान खड़ा कर लिया।

वक्फ बोर्ड में शिकायत की गई, तो वक्फ बोर्ड ने आदेश भी जारी किया। मैंने प्राधिकरण को सारे सबूत दे दिए हैं, जो कानूनगो, तहसीलदार और लेखपाल के दस्तखत से प्राधिकरण के पास जमा हैं। फाइल संख्या 44/92 में सारे सबूत मौजूद हैं, और मेरे पास भी। फिर भी जिलाधिकारी रिसीवर और उप रिसीवर नगर मजिस्ट्रेट कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

प्राधिकरण अवैध घोषित हो चुकी इमारत का मानचित्र निरस्त करके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं कर रहा। मक़बारा की देखरेख हेतु जिलाधिकारी ने एक बाबू नियुक्त किया है, जिनका नाम “टीटू बाबू” है, जो अवैध निर्माण करने वालों से मोटी रकम वसूलते हैं। जिलाधिकारी और नगर मजिस्ट्रेट को अंधेरे में रखकर नाजुल और मक़बारा की ज़मीनों की बिक्री में मोटा माल प्राप्त कर रहे हैं।

 

Aapki Takat

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