गुड़िया बेटी के परिवार को न्याय दिलाने के लिए समाजसेवी अर्चना तिवारी तिकुनिया पार्क में धरना स्थल पर पहुंचीं और रात्रि में ही सत्याग्रह पर बैठ गईं। उन्होंने कहा कि शिक्षक द्वारा शोषण का शिकार बनी 16 वर्षीय गुड़िया ने आहत होकर आत्महत्या कर ली, और जब पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगाने क्षेत्राधिकारी अरशद के पास पहुंचा, तो उन्हें धमकाकर भगा दिया गया।
“अरशद जैसे अधिकारी अपराधियों को संरक्षण देते हैं”
अर्चना तिवारी ने आरोप लगाया कि क्षेत्राधिकारी अरशद ने परिवार पर दबाव बनाकर शिकायत दर्ज करने से रोका और जब पांच दिनों बाद मामला दर्ज हुआ, तो धाराएं इतनी कमजोर थीं कि अपराधी को बचाया जा सके। ऐसे अधिकारी संविधान और लोकतंत्र का दुरुपयोग कर अपराधियों को संरक्षण देते हैं। अर्चना ने मांग की कि सबसे पहले अरशद को हटाया जाए, क्योंकि वह अपराध को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।
“पुलिस सत्याग्रह को भी कुचलना चाहती है”
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस प्रशासन रात 12 बजे सत्याग्रह समाप्त कराने के लिए दबाव बना रहा है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। न तो समय पर शिकायत दर्ज होती है, न सही धाराएं लगाई जाती और अब पीड़ित परिवार की आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है।पुलिस सत्याग्रह को भी कुचलना चाहती है”
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस प्रशासन रात 12 बजे सत्याग्रह समाप्त कराने के लिए दबाव बना रहा है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। न तो समय पर शिकायत दर्ज होती है, न सही धाराएं लगाई जाती हैं, और अब पीड़ित परिवार की आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
“प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बयान खोखले साबित हो रहे हैं”
अर्चना तिवारी ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे महिलाओं की सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं का संरक्षण अपराधों को बढ़ावा दे रहा है। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा तब तक सार्थक नहीं हो सकता, जब तक अपराधियों और उन्हें बचाने वालों को सजा नहीं दी जाती।
“दोषी शिक्षक और प्रशासन को सजा मिलनी चाहिए”
उन्होंने कहा कि अपराध करने वाला और उसे संरक्षण देने वाला, दोनों समान रूप से दोषी हैं। यदि ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह बेटियों के लिए घातक साबित होगा। अयोध्या की जनता से अपील है कि वे इस संघर्ष को अपनी जिम्मेदारी समझें और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए एकजुट हों।